डर और चिंता को समझें: नकारात्मक सोच के पैटर्न से मुक्ति कैसे पाएं
कई बार लोग शिकायत करते हैं, “साहब, मैं हर समय मौत, दुर्घटना, हार्ट अटैक, कैंसर, स्ट्रोक या बीमारियों के बारे में सुनता रहता हूं। ये बातें सुनते ही मेरा दिमाग घबरा जाता है, मैं डरने लगता हूं, मेरी चिंता बढ़ जाती है और मैं पैनिक अटैक का शिकार हो जाता हूं।”
अगर यह बात आप भी महसूस करते हैं, तो आप अकेले नहीं हैं। हम में से अधिकतर लोग कभी न कभी इस तरह की स्थिति का सामना कर चुके हैं — जब भी हम किसी भी खबर या कहानी को सुनते हैं, तो हमारे अंदर डर और बेचैनी जन्म लेती है।
तो सवाल ये है: हम इन भय और चिंता से कैसे छुटकारा पा सकते हैं?
यह लेख इसी विषय पर है — क्यों हमें इन डराने वाली खबरों से घबराने की बजाय अपने अंदर की असली जड़ को समझना चाहिए और उससे लड़ने के तरीके सीखने चाहिए।
दूरी बनाना नहीं, समझना जरूरी है
अक्सर लोग इन डरावनी खबरों से बचने की कोशिश करते हैं — टीवी बंद कर देते हैं, सोशल मीडिया से दूर रहना शुरू कर देते हैं या फिर इन चर्चाओं को सुनना ही छोड़ देते हैं। उन्हें लगता है कि इससे राहत मिलती है।
लेकिन क्या यह वास्तव में समाधान है?
सच्चाई यह है कि इन खबरों से दूर रहने का मतलब अस्थायी राहत मिलना है, पर असली समस्या अभी भी वहीं है। जब आप इन खबरों से खुद को अलग कर लेते हैं, तो आपका दिमाग मानने लगता है कि खतरा खत्म हो गया है — लेकिन अंदर ही अंदर, वो भय और नकारात्मकता वैसे ही बनी रहती है।
वास्तविकता: दुनिया में जानकारी का महासागर है, भागना संभव नहीं
हम उस युग में जी रहे हैं जिसे कहा जाता है सूचना क्रांति — जहां हर मिनट नई खबरें, अफ़वाएं और कहानियां हमारे पास पहुंचती हैं। इनसे बच पाना लगभग नामुमकिन है।
तो फिर सवाल यह है: अगर इन खबरों से भागना नहीं है, तो फिर समाधान क्या है?
समाधान: अपने भीतर की जड़ को समझें
सबसे जरूरी है कि हम यह जानें कि ये डर आखिर क्यों पैदा होता है।
अधिकतर, यह इसलिए होता है क्योंकि हमारे अंदर गहरी नकारात्मक सोच और विश्वास घर कर गए हैं — जैसे कि “मुझे कुछ हो जाएगा,” “मैं मर जाऊंगा,” या “मुझे कोई गंभीर बीमारी हो जाएगी।”
ये विश्वास हमारे मस्तिष्क में इस तरह से जड़ें जमाए हैं कि जब भी हमें कोई भी भयावह खबर सुनाई देती है, तो ये मस्तिष्क की वाइरिंग सक्रिय हो जाती है और हमें ऐसा लगता है कि खतरा हमारे पास भी आ पहुंचा है।
सीधी बात यह है:
हमारे मन ने एक ऐसी धारणा बना रखी है कि “मुझे भी कोई न कोई समस्या जरूर होगी,” और यही विश्वास ही हमें डराता है।
यह पैटर्न कैसे बनते हैं?
हमारा दिमाग सीखने और अनुकूलन का प्राणी है। पर कभी-कभी, हम कुछ नकारात्मक पैटर्न बना लेते हैं — जैसे कि “मैं कमजोर हूं,” या “मुझे कुछ ना कुछ समस्या जरूर होगी।”
इन पैटर्न का मजबूत होना इसलिए है क्योंकि हमने इन्हें बार-बार अपनाया है और इन पर विश्वास कर लिया है।
जब भी हम कोई भी ऐसी खबर सुनते हैं, तो ये पैटर्न फिर से सक्रिय हो जाते हैं और हमें डराने लगते हैं।
इसलिए, जरूरी है कि हम अपने इन पैटर्न को समझें और उन्हें बदलें।
कैसे बदलें इन नकारात्मक सोच के पैटर्न?
यह काम सीबीटी (संज्ञानात्मक व्यवहार थेरेपी) यानी Cognitive Behavior Therapy के ज़रिए किया जाता है।
यहां कैसे काम करता है:
- पहचानें — जब भी नकारात्मक विचार आएं, उन्हें पहचानें।
- चुनौती दें — पूछें, क्या इस विचार का कोई वास्तविक सबूत है?
- विचार को चुनौती दें और सही करें — अपने तर्क और तथ्य प्रस्तुत करें।
उदाहरण के तौर पर:
अगर आप सोच रहे हैं, “मुझे हार्ट अटैक आएगा,” तो अपने मेडिकल रिपोर्ट देखें — सब ठीक है, कोई समस्या नहीं है। फिर खुद से पूछें, “क्या मेरे पास इस बात का कोई मेडिकल कारण है?”
यह अभ्यास आपको धीरे-धीरे अपने दिमाग को बदलने में मदद करता है और भय को कम करता है।
निरंतर अभ्यास ही कुंजी है
यह कोई एक दिन का खेल नहीं है। सोच को बदलने और नकारात्मक पैटर्न को मिटाने के लिए लगातार अभ्यास जरूरी है।
हर बार जब भी नकारात्मक विचार आए, तो उसे चुनौती देना, उसका विरोध करना और सही तथ्य प्रस्तुत करना — यही अभ्यास है।
कुछ समय में, आपका दिमाग इन नकारात्मक विचारों को स्वीकार नहीं करेगा और आप अधिक शांत, आत्मविश्वासी और भयमुक्त महसूस करेंगे।
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सबसे महत्वपूर्ण बात:
अधिकांश डर और चिंता कल्पनाएं हैं, सिर्फ़ मन की बनावट हैं।
जब आप यह समझ जाते हैं कि ये डर असली नहीं हैं, बल्कि सिर्फ़ आपके मन की कल्पना हैं, तो आप इनसे आज़ादी पा सकते हैं।
आपके अंदर का सच्चा विश्वास यह होना चाहिए कि:
- यह सब मन की बात हैं, असली नहीं।
- मेरा शरीर स्वस्थ है।
- मेरे पास इन चिंताओं का कोई आधार नहीं।
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अंत में:
अगर आप इन बातों को समझें और नियमित अभ्यास करें, तो आप पाएंगे कि डर, चिंता और भय धीरे-धीरे खत्म हो जाएंगे।
आप बिना किसी डर के, शांति और आत्मविश्वास के साथ जीवन जी सकते हैं, चाहे कितनी भी भयावह बातें सुनें।
याद रखें:
आपके पास अपनी सोच बदलने की ताकत है। आज से ही शुरुआत करें — अपने नकारात्मक पैटर्न को पहचानें, चुनौती दें और अपने जीवन में शांति लाएं।
अगर आप और अधिक तकनीकों या मदद की इच्छा रखते हैं, तो किसी प्रशिक्षित मनोवैज्ञानिक या विशेषज्ञ से संपर्क करें।
क्या आप इन अभ्यासों को शुरू करने के लिए तैयार हैं?
आपका भय और चिंता दोनों जल्द ही दूर हो जाएंगे!