पेट की चर्बी और हार्ट अटैक: ट्रंकल ओबेसिटी क्यों है सबसे बड़ा खतरा?
क्या आपको लगता है कि थोड़ा पेट निकल आना कोई बड़ी बात नहीं? तो ज़रा रुकिए! क्योंकि यही पेट का निकलना, यानी ट्रंकल ओबेसिटी, आज की कई गंभीर बीमारियों की जड़ है—खासतौर पर हार्ट अटैक की।
हम इस आर्टिकल में जानेंगे:
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ट्रंकल ओबेसिटी क्या है?
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इसका हार्ट अटैक से क्या संबंध है?
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और सबसे ज़रूरी—इस पेट की चर्बी को कैसे कम करें?
ट्रंकल ओबेसिटी क्या है?
“ट्रंक” यानी हमारे शरीर का मध्य भाग—छाती से नीचे और टांगों से ऊपर। जब इस हिस्से के आसपास फैट जमा हो जाता है, खासकर पेट के आगे की तरफ (जैसे पुरुषों में अकसर दिखता है), तो उसे ट्रंकल ओबेसिटी कहते हैं।
पुराने समय में, खासकर 40 साल पहले तक, यह समस्या इतनी आम नहीं थी। लेकिन आज, ये बहुत कॉमन हो गई है। और मज़े की बात ये है कि बहुत से लोग जिनका बॉडी मास इंडेक्स (BMI) नॉर्मल होता है, उनमें भी ये ट्रंकल ओबेसिटी मौजूद होती है।
कैसे पहचानें कि आपको ट्रंकल ओबेसिटी है?
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इंची टेप टेस्ट: अपनी नाभि के पास कमर का घेरा मापें। फिर हिप (निचले हिस्से) का घेरा मापें।
अगर कमर > हिप, तो ट्रंकल ओबेसिटी है।
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आइना टेस्ट: सुबह नहाने के बाद अंडरवियर में साइड से शीशे में खड़े हो जाइए।
अगर पेट, छाती से आगे निकला हुआ दिख रहा है, तो ट्रंकल ओबेसिटी है।
यानी आप पतले-दुबले दिख सकते हैं, लेकिन अगर पेट बाहर है, तो अंदर ही अंदर बीमारियों की फैक्ट्री चल रही है।
रिसर्च क्या कहती है?
1. स्वीडन की स्टडी:
25,000 लोगों को 5 ग्रुप्स में बांटा गया — हल्के मोटे से लेकर अत्यधिक मोटे।
नतीजा? जिनकी ट्रंकल ओबेसिटी ज़्यादा थी, उनमें दूसरे हार्ट अटैक का रिस्क सबसे ज़्यादा था।
2. इंटर हार्ट स्टडी:
10000 भारतीयों समेत 52 देशों की स्टडी।
वेस्ट-हिप रेशो को हार्ट अटैक का इंडिपेंडेंट रिस्क फैक्टर बताया गया।
पेट की चर्बी कैसे बनती है बीमारियों की फैक्ट्री?
पेट के आसपास जमा हुई चर्बी सिर्फ दिखने की बात नहीं है। यह चर्बी धीरे-धीरे “सड़ती” है और ऐसे केमिकल्स छोड़ती है जो पूरे शरीर में घूमते हैं:
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इंफ्लेमेशन (सूजन) बढ़ाते हैं।
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इंसुलिन रेजिस्टेंस पैदा करते हैं।
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ब्लड वेसल्स की लाइनिंग खराब करते हैं।
इनके कारण क्या होता है?
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कोलेस्ट्रॉल जमता है।
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ब्लड प्रेशर बढ़ता है।
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डायबिटीज, हार्ट अटैक, स्ट्रोक और कैंसर जैसी बीमारियां जन्म लेती हैं।
यानि पेट की थोड़ी-सी चर्बी असल में है एक एक्टिव, ज़हर उगलती फैक्ट्री।
आयुर्वेद भी कहता है – “सब बीमारियों की जड़ पेट है“
आयुर्वेद में बताया गया है कि शरीर में बनने वाली सात धातुएं—रस, रक्त, मांस, मेद, अस्थि, मज्जा, शुक्र—की शुरुआत पेट से होती है।
अगर पेट की कार्यप्रणाली खराब है, तो सारी धातुएं दूषित होती हैं।
यही वजह है कि आयुर्वेद और आधुनिक चिकित्सा दोनों, पेट की चर्बी को बीमारी की जड़ मानते हैं।
अब जब ये स्पष्ट हो गया कि ट्रंकल ओबेसिटी कितना बड़ा खतरा है, अगली बात ये है कि इससे छुटकारा कैसे पाया जाए।
इसके लिए आपको अपनानी होगी सही लाइफस्टाइल, और इसके 7 स्टेप्स यानी “DASH” को समझना होगा।
पेट की चर्बी और हार्ट हेल्थ: बिना दवा के समाधान – योग, वॉकिंग और समझदारी
1. हार्ट हेल्थ के लिए दो असरदार एक्टिविटी
विशेषज्ञ बताते हैं कि आज की जीवनशैली में दो चीज़ें वैज्ञानिक रूप से हार्ट को स्वस्थ रखने में बेहद असरदार हैं:
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7500 कदम रोजाना पैदल चलना – यदि आप रोज 4–5 किलोमीटर मॉडरेट स्पीड से चलते हैं, तो हार्ट अटैक का खतरा 30% तक कम हो सकता है।
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45 मिनट योग और मेडिटेशन – इससे सिर्फ शरीर नहीं, मानसिक स्वास्थ्य भी बेहतर होता है, और इससे डायबिटीज, कोलेस्ट्रॉल जैसी बीमारियों का खतरा भी घटता है।
2. घुटनों पर असर की गलतफहमी
कुछ लोग मानते हैं कि वॉकिंग या रनिंग घुटनों को नुकसान पहुंचा सकती है। लेकिन विशेषज्ञ का अनुभव और रिसर्च कहती है कि जोड़ों को जितना हिलाएंगे, उतने बेहतर रहेंगे। जो जॉइंट बंद रहेगा, उसमें जंग लगना तय है।
3. जिम बनाम योग – क्या बेहतर है?
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योग एक कम्प्लीट एक्सरसाइज पैकेज है जिसमें चारों लाभ मिलते हैं:
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एरोबिक एक्टिविटी (हार्ट फिटनेस)
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फ्लेक्सिबिलिटी
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स्ट्रेंथ
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बैलेंस
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योग सिर्फ शारीरिक नहीं, मानसिक, बौद्धिक, और आध्यात्मिक स्तर पर भी लाभ देता है।
4. वज़न घटाने के सप्लीमेंट – सच्चाई क्या है?
वज़न घटाने के लिए जो चाय, पाउडर, या टेबलेट मार्केट में बेचे जाते हैं, वे सब झूठे वादे हैं। विशेषज्ञ का तर्क स्पष्ट है:
“अगर कोई गोली या पाउडर मोटापा घटा सकती होती, तो अमेरिका और भारत में मोटापे की दर 30% नहीं होती!”
5. NEAT: बिना एक्सरसाइज के एक्टिव कैसे रहें?
NEAT यानी Non-Exercise Activity Thermogenesis – रोजमर्रा की हलचलें जैसे:
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गाड़ी दूर पार्क करना
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सीढ़ियां चढ़ना
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घर का काम खुद करना
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ब्रेक में बाहर जाकर टहलना
इन सब से आप मैक्स to मैक्स चल सकतें हैं और आपका चलने टारगेट भी आसानी से पूरा हो जाएगा
6. ‘रामू सिंड्रोम’ – हेल्पर फिट, मालिक मोटा
अगर आपने अपना हर काम किसी और को दे रखा है (जैसे खाना बनाना, पानी लाना), तो आप खुद को निष्क्रिय बना रहे हैं और यही लाइफस्टाइल डिजीज की सबसे बड़ी जड़ है।
मोटापा घटाने का सीधा रास्ता – कोई शॉर्टकट नहीं
चार स्तंभ जो किसी भी वेट लॉस या हेल्दी हार्ट लाइफस्टाइल के लिए ज़रूरी हैं:
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संतुलित डाइट – Whole food plant-based आहार लें।
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एक्टिविटी – रोज 7500 कदम और योग करें।
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स्ट्रेस मैनेजमेंट – मेडिटेशन, स्पिरिचुअलिटी।
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अच्छी नींद और आदतें – 7–8 घंटे की नींद, नशा मुक्त जीवन।
निष्कर्ष
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मोटापे की कोई जादुई दवा नहीं है।
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योग और पैदल चलना सबसे सस्ते, सुरक्षित और असरदार विकल्प हैं।
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शॉर्टकट के चक्कर में न पड़ें – समझदारी से लाइफस्टाइल बदलें।