5 आसान आदतें जो आपकी मानसिक शक्ति को मजबूत बनाती हैं और चिंता, डिप्रेशन से मुक्ति दिलाती हैं
क्या आप जानते हैं कि कुछ छोटी-छोटी आदतें हमारी जिंदगी को बहुत बेहतर बना सकती हैं? मैं आज आपको पांच ऐसी आदतें बताने जा रहा हूँ, जिनको अपनाकर आप अपने मन को मजबूत बना सकते हैं। जब आपका मन मजबूत हो जाएगा, तो कोई भी साइकोलॉजिकल प्रॉब्लम, जैसे चिंता, डिप्रेशन या फोबिया, आपके ऊपर हावी नहीं हो पाएंगे। चलिए, इन आसान आदतों को समझते हैं।
1. नेगेटिव सोच पर प्रतिक्रिया न देना (एस्केपिंग छोड़ें)
हम अक्सर अपने मन में बहुत सारे डरावने विचार आते हैं, जैसे कि “अगर मैं ट्रेन में गया तो क्या होगा?” या “सड़क पर जाऊंगा तो कुछ हो जाएगा।” और फिर हम इन विचारों से बचने के लिए अपने आप को रोक देते हैं। इसका मतलब है कि हम नेगेटिव थॉट्स से भागते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ये जवाब देना जरूरी है? जब आप इन नकारात्मक विचारों का सामना करते हैं और उन्हें एक्सपोजर देते हैं, तो आपका मन उन्हें स्वीकार करने लगता है। जैसे कि आप अपने घर से बाहर निकलकर उन डरावने स्थानों का सामना करते हैं, तो धीरे-धीरे ये डर कम होने लगते हैं।
उदाहरण के तौर पर, मान लीजिए कि आपको बहुत डर लगता है कि कहीं जाकर हार्टअटैक हो जाएगा। जब आप उस स्थिति का सामना करते हैं और अपने आप को एक्सपोजर देते हैं, तो आपका मन समझने लगता है कि कुछ भी नहीं होगा। इसलिए, इन डरावने विचारों से भागने की बजाय, उनका सामना करना सीखिए।
और हां, ये बात भी समझिए कि जब आप इन सिचुएशंस में जाते हैं, तो आपके शरीर में हल्का डर या बेचैनी हो सकती है। जैसे कि धड़कन तेज होना या सांस फूलना। इन लक्षणों को आने दीजिए, इन्हें रोकने की कोशिश मत कीजिए। ये सब चीजें शरीर की ऑटोमेटिक प्रतिक्रिया हैं, जो धीरे-धीरे कम होने लगती हैं।
तो, अगली बार जब आप डर के मारे पीछे हटने का मन करें, तो याद रखिए कि ये सारी प्रतिक्रियाएं अस्थायी हैं। इन्हें होने दीजिए और अपने आप को एक्सपोजर दीजिए। ऐसा लगातार करते रहिए, तो आपका मन धीरे-धीरे मजबूत होने लगेगा।
2. अपनी मन पढ़ने की आदत छोड़ें
कई लोग अक्सर सोचते हैं कि उन्हें पता चल गया है कि दूसरे क्या सोच रहे हैं। जैसे कि कोई हंस रहा है तो समझ लेते हैं कि वे हमारे बारे में कुछ गलत सोच रहे हैं। या फिर किसी की हंसी देखकर अपने आप को दोषी मान लेते हैं कि वह हमारे बारे में बुरा सोच रहा है।
दोस्तों, हमें यह समझना जरूरी है कि हम किसी के दिमाग में क्या चल रहा है, यह हम नहीं जान सकते। किसी के एक्सप्रेशन से हम उसकी सोच का अंदाजा लगा सकते हैं, लेकिन यह पूरी तरह सही नहीं होता। इसलिए, दूसरों के विचारों को अपने ऊपर लागू करने से अच्छा है कि हम इस आदत को छोड़ दें।
अगर आप किसी की बात को गलत समझते हैं, तो उसकी जगह अपने आप को दोषी मत बनाइए। अपने आप को यह भरोसा दीजिए कि हर इंसान की अपनी लाइफ और सोच है। आप अपने आप को सही करने की कोशिश करें, न कि दूसरों की मानसिकता को समझने में उलझ जाएं। इससे आपका मन शांत रहेगा और आप ज्यादा मजबूत बनेंगे।
3. समस्या का स्थायी विश्लेषण (पर्सनल एनालिसिस से बचें)
कई बार हम अपनी कोई भी परेशानी हो, जैसे चिंता या डर, उसे लेकर बार-बार सोचते रहते हैं। जैसे कि हमें लगता है कि हमारे साथ कुछ गलत हो रहा है या हम कभी ठीक नहीं हो पाएंगे। इस तरह का मनोविकार हमें अंदर से कमजोर कर देता है।
असल में, हर समस्या का कोई स्थायी समाधान है। यदि आप बार-बार अपने आप को यह सोचकर परेशान करते हैं कि “मैं कभी ठीक नहीं हो पाऊंगा,” तो यह आपके मन को और कमजोर कर देगा। बल्कि, बेहतर है कि आप स्थिति का विश्लेषण करें, समझें कि परिस्थिति क्या है, फिर आगे बढ़ें।
यह जरूरी है कि आप अपने दिमाग को समझाएं कि ये समस्या अस्थायी हैं। हर दिन, हर पल, आप अपने प्रयासों से इनको दूर कर सकते हैं। लगातार मेहनत और सही सोच से, आप इन समस्याओं को खत्म कर सकते हैं। याद रखिए, आपका आत्मविश्वास और निरंतर प्रयास ही आपका सबसे बड़ा हथियार है।
4. नेगेटिव घटनाओं को अपने ऊपर न लें
कई बार हम दूसरों की गलतियों या नकारात्मक अनुभवों को अपने ऊपर ले लेते हैं। जैसे कि किसी का बुरा व्यवहार या किसी दुर्घटना का अनुभव। इससे हमारा मन नकारात्मक सोच में फंस जाता है और हम अपने आप को कमजोर समझने लगते हैं।
सच्चाई यह है कि किसी की कहानी को अपने ऊपर लागू करना गलत है। हर व्यक्ति की परिस्थिति अलग होती है। यदि आप किसी की कहानी को अपने ऊपर लागू कर लेंगे, तो आप अपने आप को और भी कमजोर बना लेंगे।
इसे रोकने का तरीका है कि आप इन अनुभवों से सीखें, लेकिन उन्हें अपने ऊपर न लागू करें। अपने आप को डिस्कनेक्ट करें और समझें कि हर किसी की लाइफ अलग है। अपनी जिंदगी को दूसरों के अनुभव से प्रभावित होने से बचाएं। इससे आपका मन मजबूत बनेगा और आप अपने लक्ष्य की ओर बढ़ेंगे।
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5. वर्तमान पर ध्यान केंद्रित करें, अतीत को न दोहराएं
अक्सर हम अपने अतीत की गलतियों या दुखों को याद कर अपना वर्तमान खराब कर लेते हैं। जैसे कि किसी परीक्षा का रिजल्ट अच्छा नहीं आया, तो हम सोचते हैं कि अब तो कुछ अच्छा नहीं होगा। या फिर पुराने अनुभवों को याद करके अपने आप को निराश कर लेते हैं।
यह आदत छोड़ना जरूरी है। अपने वर्तमान को जिएं और पुरानी बातों को भूल जाएं। याद रखिए कि हर दिन नई शुरुआत का मौका है। अपने अनुभव से सीखें, लेकिन उन्हें अपने वर्तमान पर हावी न होने दें। अपने आप को यह भरोसा दिलाएं कि आप अब बेहतर कर सकते हैं।
सिर्फ वर्तमान में जीना ही हमारी जिंदगी को मजबूत बनाता है। जब आप हर दिन को नए नजरिए से देखेंगे, तो आप अंदर से ज्यादा मजबूत और पॉजिटिव बनेंगे।
इन पाँच आदतों को अपनाकर आप अपने मन की ताकत को बढ़ा सकते हैं। जब आप इन बदलावों को अपने जीवन में लाएंगे, तो आपका मन और भी अधिक मजबूत होगा। इससे चिंता, डर, फोबिया जैसी मानसिक परेशानियों का अंत हो जाएगा।